Rajasthan’s Cultural Splendour Illuminates the 75th Republic Day: Padharo Mare Desh Theme Steals the Spotlight”

75th Republic Dayभारत के 26 जनवरी को मनाए जाने वाले 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, देशभर में भव्य समारोह की तैयारीयाँ जोरों पर हैं। इसदिन को लेकर विभिन्न राज्यों की झांकियाँ कर्तव्य पथ पर उतरकर दर्शकों को राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखाएंगी। गणतंत्रदिवस परेड के लिए तैयारी बहुत पहले से ही शुरू होती है, जिससे नजारा बहुत ही खूबसूरत बनता है।

थल सेना, नौसेना और वायु सेना की टुकड़ियाँ कर्तव्य पथ पर उमड़कर देश की शक्ति और सामरिक योग्यता का प्रदर्शन करने केलिए तैयार हैं। इस दिन, राजस्थान की झांकी में पूरे राजस्थान की संस्कृति की बहुत ही रूपरेखित झलक देखने को मिली, जोदर्शकों को मोहित किया।

गणतंत्र दिवस परेड की तैयारियों का एक विशेष अध्याय राजस्थान कीपधारो म्हारे देशथीम के चारों ओर घूम रहा है। इस झांकीमें, राजस्थान के लोक कलाकार भी भाग लेते हैं, जो परंपरागत घूमर नृत्य के माध्यम से दर्शकों को मोहित कर रहे हैं।

मंगलवार को हुई फुल ड्रेस रिहर्सल में, राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत के संदेश को दर्शकों तक पहुंचाया। इस दृश्यग्रंथ मेंपारंपरिक घूमर नृत्य और राजस्थानी संस्कृति की भव्यता का अद्वितीय समर्थन किया गया।

75th Republic Day-इस वर्ष के गणतंत्र दिवस परेड में, राजस्थान की झांकी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, क्योंकि इसमें राजस्थान कीपधारो म्यारे देशथीम थी, जिससे विकसित भारत की ऊँचाइयों और आत्मनिर्भरता की ओर एक सार्थक संकेत था।

झांकी में दिखने वाली महिला टुकड़ी दर्शकों को यह भी दिखाएगी कि महिलाएं भी तैयार हैं सेना में अपनी भूमिका निभाने के लिए।गणतंत्र दिवस परेड के इस विशेष मौके पर, सभी तीन सेनाओं की महिला टुकड़ी का समर्थन और प्रशंसा देखने मिली, जो एकप्रगतिशील और समर्थ समाज की ऊँचाइयों की ओर कदम बढ़ा रही हैं।

राजस्थान ललित कला अकादमी-

राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. रजनीश हर्ष ने बताया कि इस विशेष गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में, राजस्थान केकला और संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव, गायत्री राठौड़ की नेतृत्व में एक सुंदर संयोजन हुआ है। इसमें राजस्थान कीरमणीयता, स्थापत्य परंपरा, और हस्तशिल्प का सुंदर संगम है, जिससे झांकी देखने वालों को एक विशेष अनुभव होगा। इस झांकीके दोनों ओर, राजस्थान की दस महिलाएं पारंपरिक घूमर नृत्य करती हुई दिखेंगी, जिससे राजस्थानी संस्कृति का सबसे सांविदानिकऔर सौंदर्यपूर्ण पहलुओं में से एक दिखेगा। इस झांकी का निर्माण रक्षा मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया है।

75th Republic Day-

झांकी में दर्शकों को राजस्थानी संस्कृति की विविधता और भव्यता का अद्वितीय अनुभव होगा। इसमें घूमर नृत्य करती महिला कीमूर्ति, जो राजस्थानी कपड़े में धारण की गई है, दर्शकों कोपधारों म्हारे देशका संदेश देगी। यह झांकी महिलाओं की शक्ति औरसमृद्धि को सार्थक बनाए रखने के लिए एक सुंदर प्रतिबिम्ब प्रस्तुत करेगी।

राजस्थान की झांकी में घूमर करती महिला की मूर्ति के पीछे, राजस्थान की विरासत में एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति, मीरा बाई कीप्रतिमा है। मीरा बाई, जो भगवान श्री कृष्ण की श्रद्धाभक्त थीं, राजपुताना की राजकुमारी थीं और उनका योगदान राजस्थानी साहित्यऔर संस्कृति में अद्वितीय है। इस प्रतिमा के माध्यम से, झांकी राजस्थान की महान विरासत को नया जीवन देगी और दर्शकों को इसमहान समृद्धि की अद्भुतता का अहसास कराया।

गणतंत्र दिवस परेड का माहौल अपूर्व होता है, और राजस्थान की झांकी निकालने की प्रक्रिया में इसका विशेष स्थान है। दर्शकों कोइस अद्भुत दृश्य का आनंद लेने का सुनहरा अवसर मिलता है, जब राजपथ पर राजस्थान की झांकी निकलती है और सार्वजनिक मेंराजस्थानी समृद्धि, सांस्कृतिक विरासत और समृद्धि का दृश्य दिखाई दिया।

75th Republic Day-राजस्थान की झांकी पधारो मारे देश-

डीडी नेशनल

राजस्थान की झांकी में, घूमर करती महिला की मूर्ति के पीछे, राजस्थान की विरासत का एक और महत्वपूर्ण प्रतीक, मीरा बाई की प्रतिमा है। मीरा बाई, भगवान श्री कृष्ण की विशेष भक्त और राजपुताना की राजकुमारी, ने अपने समय में साहित्य और संस्कृति में अपने अनूठे योगदान से एक अलग पहचान बनाई।

झांकी के माध्यम से, मीरा बाई की प्रतिमा ने राजस्थानी समृद्धि और साहित्य की शानदार विरासत को सजीव किया है। इस प्रतीक ने दर्शकों को उनके समय की महानता और उनकी भक्ति भावना के प्रति समर्पित किया है।

राजस्थान की झांकी ने ओम बिरला को खुशी के राजस्थानी आदर्शों का अद्वितीय अनुभव कराया है। यह महिला-मूर्ति और मीरा बाई की प्रतिमा के साथ एक नैतिक संदेश का भी प्रमोशन करती है, जो राजस्थानी संस्कृति के मौल्यों और एकता की महत्वपूर्ण बातें दिखाता है। इस प्रतीक से नया संबंध बनाकर, दर्शक राजस्थान की गौरवशाली पारंपरिकता को समझने और आदर्शों के साथ जुड़ने का अवसर पाते हैं।

 

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला हुए खुश-

इस रूप में, राजस्थान की झांकी ने गौरवपूर्ण रूप से मीरा बाई की विरासत को जीवंत किया है और दर्शकों को समृद्धि और साहित्य के आदर्शों के साथ जोड़ने का सुनहरा मौका प्रदान किया है।

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