Makar Sankranti,सूर्य का उत्तरायण, जिसे हम मकर संक्रांति कहते हैं, पुराण और विज्ञान में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय सूर्य उत्तरी ध्रुवसे दूर होकर मकर राशि में पहुंचता है, जिससे दिन बड़ता है और रातें छोटी होती हैं। यह घड़ी का बदलाव जीवन को सुझावित करताहै, क्योंकि दिन की लम्बाई वृद्धि को इंजन में प्रेरित करती है और उत्तरायण को समृद्धि का संकेत माना जाता है। इस समय मानवताके विकास की ऊर्जा बढ़ती है, और प्रकाश में वृद्धि व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धिमत्ता की दिशा में प्रेरित करती है। अंधकार की कमी और प्रकाश में वृद्धि के कारण, यह समय प्रेरणा और सकारात्मकता का सूचक होता है, जो समाज को उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
इस बार कब है? मकर संक्रांति –
हर वर्ष की भाती इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं है, इसका कारण आपको समझाते है। इस वर्ष, मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है, जो लीप वर्ष के कारण है। सामान्यत: गैर–लीप वर्ष में यह उत्सव 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन लीपवर्ष में एक अतिरिक्त दिन शामिल होता है, जिससे तारीख बढ़ जाती है। इस परिवर्तन के कारण, मकर संक्रांति का आयोजन 15 जनवरी को हो रहा है। यह हिन्दी पंचांग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जो इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के महत्व को बढ़ाता है।
Makar Sankranti का महत्व-
मकर संक्रांति का महत्व हिन्दू धर्म में विशेष रूप से माना जाता है, जिसमें सूर्य देव की उत्तरायण स्थिति का पावन अवसर है। इसदिन, मान्यता है कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं, क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इस दिन को“मकर संक्रांति” कहा जाता है।
लोग मान्यता हैं कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं औरसूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है। इस दिन लोग धार्मिक अनुष्ठान, दान–पुण्य, और सामाजिक समर्पण का अवसर मानते हैं। इसधार्मिक उत्सव के माध्यम से वे आत्मशुद्धि और सांस्कृतिक संबंध को बढ़ावा देते हैं, जो एक समृद्ध और समर्थ समाज की दिशा मेंकदम बढ़ाने में मदद करता है।
कैसा रहेगा मकर राशि वालों के 2024 ?
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